ishq ki ibaadat chahti hu,,,
इश्क़ की ईबादत चाहती हूँ ,,,
इज़हार -ए - इश्क़ ,
यूँ न कर तू ,
मुझे तिज़ारत नहीं ,
तेरा मुकम्मल जहाँ चाहिए ,
मुझे , तूँ चाहिए ,
मुझे , तेरा इश्क़ चाहिए ,
तेरी बाहों का , खूबसूरत हार चाहिए ,
न आरज़ू है , महलों की ,
न ज़माने की शांनो - शौकत से है ,
रिश्ता कोई ,
अपनी पलकों में छिपा ले , मुझको ,
हर दर्द से बचा ले , मुझको ,
में ज़माने से तुझ पर गुरूर करूँ ,
मेरी नज़रों में , तेरा वह मुकाम चाहिए ,
में गुलाम नहीं , तेरे क़दमों की ,
मुझे तो, तेरे दिल का , सरताज चाहिए ,
मुझे , तूँ , चाहिए ,
मुझे , तेरा इश्क़ चाहिए ,
तूँ चले , में चलूँगी ,
तेरे साथ , बनके हम रही ,
बस तुझे , रुकना पड़ेगा ,
मेरी आवाज़ , सुनके ,
मेरा इश्क़ है , जो ,
सुर्ख लाल , रंग का ,
तेरे इश्क़ में भी ,
वह बात चाहिए ,
मुझे , तूँ चाहिए ,
मुझे , तेरा इश्क़ चाहिए ,
तेरी , आँखों में अपना , चेहरा ,
और ,
बेशुमार , प्यार चाहिए ,
मेरी आँखों , में जो नमीं है ,
वह तूँ है,
तेरे होंठों पर भी , सिर्फ ,
मेरा , नाम चाहिए ,
मुझे, तूँ चाहिए ,
मुझे, तेरा इश्क़ चाहिए ,
बस और कोई इल्तज़ा नहीं ,
तेरे इश्क़ में , भी ,
ईबादत चाहती हूँ
सदा ही तेरी क़ुरबत चाहती हूँ ,
तेरे साये में जीना ,
तेरे साये में, मरना चाहती हूँ ,
अल्फ़ाज़ ही नहीं अब की ,
और क्या चाहिए ,
मुझे तूँ चाहिए ,
मुझे तेरा इश्क़ चाहिए ,,
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