Sunday, February 23, 2020

kal phir wahi raat thi ,,,


कल फिर वही रात थी ,,,,




Image result for love images of night




कल फिर वही रात थी ,
वारिश तेज हो रही थी ,
नई नई मुलाक़ात थी ,
कल  रात थी ,
तुम मिले , मैं मिली ,
एक खूबसूरत सी ,
बात थी ,
कल फिर वही रात थी ,
आसमान में ,काली घटा ,
बादलों की ,
रात काली ,
हर तरफ बस धुआँ  धुआँ ,
हर तरफ बस धुआँ  धुआँ ,
तारे भी , टिम टीमा रहे थे ,
चाँद भी , मुस्कुरा रहा था ,
तरन्नुम -ए - फिज़ा भी ,
महक उठी थी ,
तबस्सुम , चाँदनी  की ,
अदायगी , चाँदनी की ,
आँखें मींच कर ,
चाँदनी को , खींच कर ,
चाँद भी ,अपनी मस्ती में था ,
कल फिर वही रात थी ,
बारिश तेज हो रही थी ,
नई  नई  मुलाक़ात  थी ,,,,,

ishq ki ibaadat chahti hu ,,,,,

ishq ki ibaadat chahti hu,,,

इश्क़ की ईबादत चाहती हूँ ,,,

Image result for love images

इज़हार -ए - इश्क़ ,
यूँ न कर तू ,
मुझे तिज़ारत नहीं ,
तेरा मुकम्मल जहाँ चाहिए ,
मुझे , तूँ  चाहिए ,
मुझे , तेरा इश्क़ चाहिए ,
तेरी बाहों का , खूबसूरत हार चाहिए ,
न आरज़ू है , महलों की ,
न ज़माने की शांनो - शौकत से है ,
रिश्ता कोई ,
अपनी पलकों में छिपा ले , मुझको ,
हर दर्द से बचा ले , मुझको ,
में ज़माने से तुझ पर गुरूर करूँ ,
मेरी नज़रों में , तेरा वह मुकाम चाहिए ,
में गुलाम नहीं , तेरे क़दमों की ,
मुझे तो, तेरे दिल का , सरताज चाहिए ,
मुझे ,  तूँ , चाहिए ,
मुझे , तेरा इश्क़ चाहिए ,
तूँ चले , में चलूँगी ,
तेरे साथ , बनके हम रही ,
बस तुझे , रुकना पड़ेगा ,
मेरी आवाज़  , सुनके ,
मेरा इश्क़ है , जो ,
सुर्ख लाल  , रंग का ,
तेरे इश्क़ में भी ,
वह बात चाहिए ,
मुझे , तूँ चाहिए ,
मुझे , तेरा इश्क़ चाहिए ,
तेरी , आँखों में अपना , चेहरा ,
और ,
बेशुमार , प्यार चाहिए ,
मेरी आँखों , में जो नमीं है ,
वह तूँ है,
तेरे होंठों पर भी , सिर्फ ,
मेरा  , नाम चाहिए ,
मुझे, तूँ  चाहिए ,
मुझे,  तेरा इश्क़ चाहिए ,
बस और कोई इल्तज़ा नहीं ,
तेरे इश्क़ में , भी ,
ईबादत  चाहती हूँ 
सदा ही तेरी क़ुरबत चाहती हूँ ,
तेरे साये में जीना ,
तेरे साये में, मरना चाहती हूँ ,
अल्फ़ाज़ ही नहीं अब की ,
और क्या चाहिए ,
मुझे तूँ चाहिए ,
मुझे तेरा इश्क़ चाहिए ,,


Sunday, February 9, 2020

ek adna si ladki ,,,,

एक अदना सी लड़की 


एक अदना सी लड़की , जिसकी सोच बड़ी विशाल , समंदर की तरह शान्त  , अपार , वह स्वयं  ही एक कल्पना की तरह !
जिसका वास्तविक दुनियाँ  से कोई ताल्लुक़ ही न था | वो रहती तो कहीं भीड़ में , मगर उसके मन का हंसा , कहीं और ही विचरण करता ! जाने किस चीज की तलाश में भटक रही थी |

बचपन से ही अपने व्यक्तित्व को सजा रही थी , सँवार  रही थी | शारीरिक रूप से परिपक्व न थी , मगर मानसिक  रूप से बहुत परिपक्व थी , उसके विचारों में विशालता थी |

वो इतनी काल्पनिक की सोचती की , जो में सोचती हूँ , मेरे साथ वही होगा , कल्पनाओं में जीती , और कहती अच्छा अच्छा सोचो , सोचने में क्या बुरा है , सोचेंगे तभी तो होगा |

जमीन पर तो , वह कभी रहती ही न थी , उमंगें इतनी की हर वक़्त उड़ती ही रहती , मगर सिर्फ अपनी सोच और अपनी कल्पनाओं में ! कभी कहती की धरती से आकाश तक का सफर तय करेगी ! आज कल खुद से भी प्यार करने लगी थी , थोड़ा वक़्त निकाला था खुद क लिए भी , और जब खुद से प्यार किया तो पता चला , में भी ख़ूबसूरत हूँ ! अब तो उसकी बातों का ठिकाना ही न था , कहने लगी , मुझसे खूबसूरत तो ,कोई है ही नहीं , जानती ही न थी की वह भी खूबसूरत है , शायद इसलिए!

इतनी काल्पनिक थी की , जीवन  में उसके कल्पना के अलावा , वास्तविकता का नामोंनिशान  भी न था | भीड़ में भी  , सबसे परे
प्रत्यक्ष है , मगर फिर भी , न थी ,  बस अपनी ही दुनियाँ में अकेले चलती रही ! जाने की चीज की तलाश में |

एक अलग ही अपने कल्पनाओं की दुनियां  सजाई थी ! उस अदना सी लड़की ने , जिसमे अकेले ही अपने मनमतंग घूमती रहती थी |
वह अदना सी लड़की , अपनी इस काल्पनिक दुनिया को किसी भी सूरत में , वास्तविक बना लेना चाहती थी जिसके लिए वह खुद ही गुमनाम सी हो गई ,कहीं ,  अपनी ही तलाश में !
वो खुद तो बहुत साधारण , मगर उस अदना सी लड़की कि सोच वेहद असाधारण !
 वह सोचती की ,
अपने व्यक्तित्व को इतना सजाओ , इतना सँवारो  , की चमक उठे , चेहरे में चमक झूठ , पहनावा में चमक छलमात्र ! जब आपके व्यक्तित्व की चमक अपनी छटा बिखेरेगी तो , चेहरा और पहनावा स्वतः ही चमक उठेगा |

वह अदना सी लड़की, अपने व्यक्तित्व को किसी खूबसूरत चित्र की तरह गढ़ती रही , भिन्न - भिन्न प्रकार के रंगों से | उसकी सोच में इतना लचीलापन  था ! हर वक़्त , है डगर पर परिस्थति के हिसाब से चलती रही , मगर चलती रही | वेसक वह मौन थी , उसकी आवाज में कोई शोर न था , मगर अप्रत्यक्ष रूप से , फिर भी , बहुत तेज शोर था !
चल रही थी धीरे धीरे अपनी ही धुन में , मग्न  अकेले !
वह सोचती  की  , जिंदगी के इस सफर में रुक जाने का मतलब है , अपनी अवनति को गले लगाना , और स्वयं ही अपना पतन सुनिश्चित कर देना |
और यूँ ही , अपने विचारों और अपने व्यक्तित्व को रोज रोज सींच कर , हरा भरा करती , सजती रही , निःशब्द , मौन , यूँ ही चलती रही , वक़्त की हर चोट के साथ कदम मिलाकर |
और किसी जुलाहे की तरह करघे पर , अपनी कल्पनाओं के सुन्दर,सुन्दर  , रंग बिरंगे , धागे जोड़कर , बुनती रही सुन्दर सूत अपने ख़्वाबों का !
 थान  अपने ख़्वाबों का बन लिया था , इतना लम्बा  , की अर्ज़ नहीं मिल रहा था कहीं ! और भटकती रही उसकी तलाश में !
एक अदना सी लड़की | 

Friday, February 7, 2020

Meghon ki chaah mein ,,,

मेघों की चाह में

Image result for LAND images










बैचेन धरती आह भर रही है  ,
मेघों की चाह  में ,,,
चल रही बयार है ,
शरीर सूख गया ,
और चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगीं ,,,
बस धरती तड़प रही है ,
मेघोंकी चाह में ,,,
हर जीव साँस ले रहा है ,
इस नश्वर मृत्तिका की बाँह  मैं ,,,
तड़प इस अचला की ,
समझे भी कौन ?
एक आस है मेघों से ,
और समझेगा कौन !
बिचलित हैं बिहंग ,
वृक्षों ने भी , खड़े कर  लिए हाँथ ,
वरखा भी मनमतंग  है ,
अपने ही राग में ,
बस धरती तड़प रही है,
मेघों की चाह में ,,
कृषकों ने भी छोड़ दिया ,
दमन गाँवों का ,,
जोड़ लिया नाता शहरों की ,
गलियों से ,,
सूख गए सब खेत-खलिहान ,
मेघों की चाह में ,,,
जिधर देखो , बड़ी बड़ी ,
इमारतें पनप रही हैं ,
धरती की गोद  में ,
आँचल में , उसके ,
पड़  गईं  , दरारें अनेक ,
धरती बस मौन है ,
मेघों की चाह में ,,,,,



kal phir wahi raat thi ,,,

कल फिर वही रात थी ,,,, कल फिर वही रात थी , वारिश तेज हो रही थी , नई नई मुलाक़ात थी , कल  रात थी , तुम मिले...