नयी नयी दोस्ती कलम से मेरी ,,,,
तुझसे ही इख़्तियार करूँ ,
मेरी ' कलम ' तुझसे बेहतर ,
कोई और मेरा ज़ानिब नहीं ,,,,
मैं भी तन्हा, मेरा हर ख़याल भी तन्हा ,
तो सोचा, क्यों न साथ चलें ,
दिल की तसल्ली के लिए ,
ये ख़याल अच्छा है ,,,,,,
Hazaaron khwahishain aisi ki har khwahish pe dum nikle ,,, Bahut nikle mere armaan magar phir bhi Kam nikle ,,,,,(MIRZA GALIB)
कल फिर वही रात थी ,,,, कल फिर वही रात थी , वारिश तेज हो रही थी , नई नई मुलाक़ात थी , कल रात थी , तुम मिले...
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