क्षणभंगुर है ये अँधेरा ,
क्षणभंगुर है ये अँधेरा ,
क्यों तूँ घबराता है ,
बनके ध्रुव , आसमान मैं ,
एक दिन चमकेगा तूँ सितारा ,
तेरी प्रतिभा बहुमुखी ,
चहुँ ओर जब फैलेगी ,
नभ चीर कर ,गूंजेगी बनके ध्वनि ,
मृदंग सी ,
काली घनेरी रात की ,
अँधेरी का सीना चीर कर ,
सूरज सा प्रकाश देगा तूँ ,
क्षणभंगुर है ये अँधेरा ,
क्यों तू घबराता है ,
बनके ध्रुव ,आसमान मैं ,
एक दिन चमकेगा , तूँ सितारा ,
क्षीण होगा हर तिमिर ,
तेरे पथ का ,
प्रकाशित होगा तेरा हर पथ ,
तेरे स्वंय के प्रकाश से ,
तेरा ही तेरा बस आकाश हो ,
नभ पर ,नीर पर ,
हर लहर पर ,हर डगर पर ,
तेरा ही तेरा प्रकाश हो ,
क्षणभंगुर है ,ये अँधेरा ,
क्यों तूँ घबराता है ,
बनके ध्रुव ,आसमान मैं ,
एक दिन चमकेगा तूँ सितारा ,
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete