नारी अस्तित्व
मैं कौन हूँ ,मैं क्या हूँ ,
क्या मेरा अस्तित्व नहीं ,,,,,
कहने को तो सीधी साधी ,
दुर्गा भी यहीं , काली भी यहीं ,
मुझसे ही ये संसार सजा है ,
व्यक्तित्व मेरा सबसे ऊँचा ,
पुरुषों के क़दमों की धूल नहीं ,,,,,
मैं कौन हूँ , मैं क्या हूँ ,
क्या मेरा अस्तित्व नहीं ,,,,
सीता सी पवित्र आत्मा
ममतामयी हूँ उमा सी ,
दुर्गा सी नरसंहारिणी ,
जिस रूप मैं मिलना हो मुझसे ,
हर रूप मेरा विशाल है ,
मैं कौन हूँ , मैं क्या हूँ ,
क्या मेरा अस्तित्व नहीं ,,,,
मेरा प्रेम उज्जवल दीपक सा ,
हर घर उजियारा होता है ,
मेरा प्रेम अथाह सागर सा ,
कभी नहीं काम होता है ,
मेरी है यही प्रकृति ,
दुःख मैं पतझड़ सी झड़ जाऊँ ,
फिर खिल उठूं बसंत सी ,,,,,,
मैं कौन हूँ ,मैं क्या हूँ ,,
क्या मेरा अस्तित्व नहीं ,,,,,
मुझ बिन जीवन का मोल नहीं,
मैं सबसे अनमोल ,
मुझसे ही तो पूरे हो तुम !
मैं कौन हूँ , मैं क्या हूँ ,
क्या मेरा अस्तित्व नहीं ,,,,
मैं ही तो वह कुंजी हूँ ,
जो घर आँगन महकाऊँ ,
पर मेरे भी ,कुछ सपने हैं ,
जिनका तुम सम्मान करो ,
सिर्फ औरत ही क्यों करे समर्पण ,
तुम भी दो योग्यदान ,
मैं कौन हूँ , मैं क्या हूँ ,,
क्या मेरा अस्तित्व नहीं ,,,,
मुझ बिन न पूरे हो तुम ,
मैं भी तुम बिन अधूरी हूँ ,
तो क्यों न मिलकर साथ चलें हम ,
तुम मेरा सम्मान करो ,
और मैं तुम पर अभिमान करूँ ,
मैं कौन हूँ, मैं क्या हूँ ,,,
Keep it up
ReplyDeleteVery nice
thank u
DeleteVery nice
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