Wednesday, October 2, 2019

MERA MANN


मेरा मन 







मैं एक गांव  मैं पली  बढ़ी ,
सुन्दर सा संसार मेरा ,
सपने मेरे इतने ऊँचे ,
देख देख कर बढ़ने लगी ,
कभी सोचती यह बन जाऊँ ,
कभी सोचती वह बन जाऊँ ,
जग मैं रोशन नाम करूँ ,
लाख कमियां हैं ,मुझ मैं ,
पर खुद मैं , मैं कमजोर नहीं ,
आत्मविश्वास से भरकर मन को ,
हर रोज , एक नयी उड़ान भरी ,
अपने ही सपनों मैं खोई रही ,
रोज नयी कल्पनायें रची,
मैं एक गांव मैं पली बढ़ी ,
सुन्दर सा संसार मेरा ,,,,,,

                MERA MANN                         
                              

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