जीवन एक चलचित्र ,,,
जीवन एक चलचित्र की भाँति चल ही रहा है ,
इसकी घड़ी की सुई टिक - टिक करती हुई चल रही है ,
यह मेरे लिए थम ती ही नहीं !
शायद मुझे ही इसके साथ चलना होगा ,
जीवन के इस संघर्ष , इस दौड़ धूप मैं ,
चार पैसे कमाने की मेरी जद्दोजहद ,
और चलचित्र के ही समान , किसी व्यक्ति के जीवन मैं ,
आते उतार चढ़ाव , जहाँ अपने अपने अस्तित्व के लिये ,
सभी संघर्ष मैं लगे हुए हैं ,
जीवन लगता है मानो ,एक मनोरंजन सा बन गया है ,
जिसमें आपका ,अभिनय कैसा है ,
यह , आपका भविष्य निर्धारित करता है ,
बहुत छोटी सी उम्र मैं , शायद ,
बहुत बड़ी बड़ी बातें कह दी ,
क्या करूँ उम्र तो कम है ,
तजुर्बा , थोड़ा ज्यादा हो गया है ,,,,
बहुत छोटी सी उम्र मैं , शायद ,
बहुत बड़ी बड़ी बातें कह दी ,
क्या करूँ उम्र तो कम है ,
तजुर्बा , थोड़ा ज्यादा हो गया है ,,,,
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