शब्दों की गूँज और आवाज की खनक ,
ये तो बस मेरे शब्दों की गूँज थी ,
मौका मिले तो, कभी सुनाऊँगी , अपनी आवाज की खनक को ,,,,
मैं तो बस यूँ ही लिख देती हूँ ,
मेरे लेखन मैं भी एक सबक है ,
न मैं तुमसे कम हूँ ,
न तुम मुझसे कम हो ,
यहाँ हर एक के पास कुछ न कुछ ख़ास है ,
तुम पढ़ो तो कभी खुद को ,
तुममें भी कोई नया एहसास है ,
ये तो बस मेरे शब्दों की गूँज थी ,
मौका मिले तो, कभी सुनाऊँगी, अपनी आवाज की खनक को ,,,,,,
तुमने मुझे उतना देखा , जितना मैंने तुम्हे दिखाया ,
तुमने मुझे उतना जाना जितना मैंने तुम्हे जताया ,
कभी पढ़ो तो मेरी किताब को ,
पढोगे तो जानोगे , किताब के हर पन्ने के एहसास को ,
वर्षों से बंद पड़ी थी जो , उसके हर शब्द भी स्तब्ध थे ,
ये तो बस मेरे शब्दों की गूँज थी ,
मौका मिले तो ,कभी सुनाऊँगी , अपनों आवाज की खनक को ,
मैनें जब पढ़ा खुद को ,तो खुद से ही मुलाकात हुई ,
हर चीज मेरी थी , हर बात मेरी थी ,
हर अच्छाई मेरी थी , हर बुराई मेरी थी ,
अपने भी थे ,और पराये भी थे ,
हर कुछ मुझसे शुरू , मुझ पर ही ख़त्म था ,
सोचा कुछ नया ,क्या है मुझमें ,
ये तो सभी के पास है ,
फिर क्या था ,अपने मन को ही तीर बनाकर ,
एक प्रकाश की खोज मैं ,
क्योंकि जीवन मैं अँधेरा कुछ पल का ,
मन मैं न अँधेरा रह पाए , छोड़ दिया अन्धकार मैं ,
आगाज तो अच्छा है ,
अंजाम देखेंगे ,
ये तो बस मेरे शब्दों की गूँज थी ,
मौका मिले तो ,कभी सुनाऊँगी , अपनी आवाज की खनक को ,,,,,,,,,
SHABDON KI GOONJ AUR AAWAAJ KI KHANAK
न मैं तुमसे कम हूँ ,
न तुम मुझसे कम हो ,
यहाँ हर एक के पास कुछ न कुछ ख़ास है ,
तुम पढ़ो तो कभी खुद को ,
तुममें भी कोई नया एहसास है ,
ये तो बस मेरे शब्दों की गूँज थी ,
मौका मिले तो, कभी सुनाऊँगी, अपनी आवाज की खनक को ,,,,,,
तुमने मुझे उतना देखा , जितना मैंने तुम्हे दिखाया ,
तुमने मुझे उतना जाना जितना मैंने तुम्हे जताया ,
कभी पढ़ो तो मेरी किताब को ,
पढोगे तो जानोगे , किताब के हर पन्ने के एहसास को ,
वर्षों से बंद पड़ी थी जो , उसके हर शब्द भी स्तब्ध थे ,
ये तो बस मेरे शब्दों की गूँज थी ,
मौका मिले तो ,कभी सुनाऊँगी , अपनों आवाज की खनक को ,
मैनें जब पढ़ा खुद को ,तो खुद से ही मुलाकात हुई ,
हर चीज मेरी थी , हर बात मेरी थी ,
हर अच्छाई मेरी थी , हर बुराई मेरी थी ,
अपने भी थे ,और पराये भी थे ,
हर कुछ मुझसे शुरू , मुझ पर ही ख़त्म था ,
सोचा कुछ नया ,क्या है मुझमें ,
ये तो सभी के पास है ,
फिर क्या था ,अपने मन को ही तीर बनाकर ,
एक प्रकाश की खोज मैं ,
क्योंकि जीवन मैं अँधेरा कुछ पल का ,
मन मैं न अँधेरा रह पाए , छोड़ दिया अन्धकार मैं ,
आगाज तो अच्छा है ,
अंजाम देखेंगे ,
ये तो बस मेरे शब्दों की गूँज थी ,
मौका मिले तो ,कभी सुनाऊँगी , अपनी आवाज की खनक को ,,,,,,,,,
SHABDON KI GOONJ AUR AAWAAJ KI KHANAK
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